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Monday, October 18, 2010

नज़म - दोस्त और उनकी दोस्ती

दोस्तों का हर सितम हम गवारा कर ही लेंगे,
जो बर्दाश्त के काबिल ना होगा तो सह ही लेंगे।

दोस्त बेवफ़ाई पर ही उतर आएं तो क्या हासिल,
दोस्ती निबाही है तो बेवफ़ाई भी निभा ही लेंगे।

उम्र भर निबाहने का दम भरने वाले ये दोस्त,
ज़हर जो पिलाने आए हैं तो वोह भी पी ही लेंगे।

दोस्तों की दोस्ती के बिना जीना मुश्किल होगा,
अगर यूं भी जीना पड़ेगा तो हम जी ही लेंगे।

मेरे मौला दोस्तों की दुशमनी से हमें बचाओ,
दुशमनों को दोस्त बनाकर हम निभा ही लेंगे।

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