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Wednesday, December 26, 2012

कविता - दामिनी के मुजरिमों की सज़ा

बलात्कार के अपराध के दोषियों लिए मात्र मौत की सज़ा ही उपयुक्त हो सकती है,
इतने जघन्य कृत्य के लिए इसके अतिरिक्त और कोई सज़ा भी क्या हो सकती है,
मग़र मैं एक ऐसा प्रश्न खड़ा कर रहा हूं जिसपर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है -
इनकी तथाकथित मृत्यु के पश्चात इनकी अस्थियों की क्या नियति हो सकती है?

ये लोग जो कि पूर्णतयः दुष्चरित्र हैं इनकी अस्थियां भी तो पवित्र नहीं हो सकती हैं,
उन्हें समुद्र में प्रवाह करें तो भविष्य में वो सुनामी जैसी विपदा का रूप ले सकती हैं,
उन्हें ज़मीन में गाड़ें तो भविष्य में भूकंप जैसी परिस्थितियों का जन्म हो सकता हैं -
उन्हें वातावरण में विसर्जित करें तो वो सम्पूर्ण वातावरण को दूषित कर सकती हैं।

अगर ऐसा सब कुछ करने से ऐसी अमानवीय परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं,
ऐसी परिस्थितियां जो कि सम्पूर्ण मनुष्य जाति के लिए हानिकारक हो सकती हैं,
तो उचित यही होगा कि मृत्युपरांत इनकी लाशें जंगली जानवरों को सौंप दी जाएं -
मनुष्य जाति की हानि भी ना हो और ये किसी के लिए लाभकारी भी हो सकती हैं।

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