खुशियों की दौलत तुम्हें मुबारक और ग़मों का खज़ाना हमारा हो, मुनाफ़े के सब सौदे तुम्हें नसीब और घाटे का हर सौदा हमारा हो, तुम्हारी खुशियों में जब भी इज़ाफ़ा हो तो महज़ यही दुआ करना - खुशियां कुछ हमारे हिस्से में भी आ जाएं और ग़मों में खसारा हो। मोहब्बत में गिले-शिकवे बेमानी होते हैं, मानीखेज प्यार हमारा हो, रेले ग़म और खुशी के तो फ़ानी होते है, रवां फ़क्त प्यार हमारा हो, ज़माने की रंगरलियां हों या दुनियावी दौलत, ये सभी वक्ती होते हैं - बाद फ़ना इश्क के जो किस्से कहानी होते हैं, वैसा प्यार हमारा हो। प्रीत बनी रहे सभी से और सबके दिल में कायम प्यार हमारा हो, वैर और द्वैत ना हो किसी से भी और सबके साथ प्यार हमारा हो, चार दिन की यह ज़िंदगी सबके साथ प्रेम-औ-प्यार से गुज़र जाए - हर किसी की मोहब्बत का जो भूखा हो, बस वैसा प्यार हमारा हो।
Tuesday, May 22, 2012
नज़म - हमारा प्यार
Labels: नजम at 10:12:00 AM Posted by H.K.L. Sachdeva
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