साहिल पे गीली रेत पर लिख कर मिटा क्यों देती हो तुम मेरा नाम, डरती हो इन लहरों से तुम, ये लहरें कभी मिटा नहीं सकती मेरा नाम, रेत पर लिखा नाम लहरें अगर मिटा भी दें तो इस में परेशानी क्या है - रेत से मिटने के बाद इन लहरों के आंचल में जुड़ जाता है मेरा नाम। पुकार के देखो तो सही इन लहरों को, इन लहरों से गूंजेगा मेरा नाम, जब भी पुकारोगे तुम इन्हें हमेशा याद ये दिलाएंगी तुम्हें मेरा नाम, इनसे पुराने नाते भी है हमारे, शायद इन्हीं में समाए थे हम पिछ्ले जन्म - इसीलिए तो आजतक इन लहरों में लिपटा हुआ है तेरा नाम मेरा नाम। जब से मिला है हमको यह जीवन, जुड़ा हुआ है तेरा नाम मेरा नाम, जब तलक कायम रहेगा हमारा जीवन, जुड़ा रहेगा तेरा नाम मेरा नाम, भले ही जुड़े यह जीवन लहरों की डोरी से या जुड़े किसी और डोरी से - जन्म जन्मांतर के हैं ये बंधन, यूं ही जुड़ा रहेगा तेरा नाम मेरा नाम।
Tuesday, May 22, 2012
नज़म - तेरा नाम - मेरा नाम
Labels: नजम at 9:57:00 AM Posted by H.K.L. Sachdeva
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