इस रंग बदलती दुनियां में हमने लोगों को रंग बदलते हुए भी देखा है, इन्हीं लोगों को दुनियां में हमने इंसान से हैवान बनते हुए भी देखा है, जाती मफ़ाद की खातिर ये लोग कोई भी हद्द पार करने से नहीं चूकते - ऐसे खुदगर्ज़ी में माहिर लोगों को ज़मीर के सौदे करते हुए भी देखा है। शोहरत और दौलत के लिए हमने लोगों को ईमान बेचते हुए भी देखा है, दुनियां में हमने लोगों को मादर-ए-वतन का सौदा करते हुए भी देखा है, अना के ग़ुलाम होके औरों की इज़्ज़त से खिलवाड़ करना शौक है उनका - अपनी बढ़तरी को उन्हें औरों को एहसास-ए-कमतरी देते हुए भी देखा है। कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें दुनियां में नए नए रंग भरते हुए भी देखा है, अपने हमवतनों के लिए जीने-औ-मरने का जज़बा रखते हुए भी देखा है, जीवन श्वेत श्याम रंग का ही मोहताज नहीं, सुंदर से सुंदर रंग मौजूद हैं - इसी दुनियां में हमने इंसानों को इंसान से फ़रिश्ता बनते हुए भी देखा है।
Tuesday, May 22, 2012
नज़म - इंसान-औ-हैवान
Labels: नजम at 9:55:00 AM Posted by H.K.L. Sachdeva
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